sonu santosh bhatt

Romance

4  

sonu santosh bhatt

Romance

खिड़की और वो

खिड़की और वो

6 mins
402



घर पर ही था। अगस्त के महीना इतवार का दिन!

क्या कीजिये छत में जाये तो धूप और गर्मी, और कमरे में मन लगने से रहा। और वैसे भी जब घर पर रहते है तो अक्सर चस्का रहता है गाने सुनने का, मोबाइल में नही, हेडफोन लगाकर तो बिल्कुल नही! बड़े से स्पीकर में और वो भी जोर से…….अकेले थोड़ी सुनना है किसी को सुनाना भी तो है।

गाने शुरू होने के बाद बार बार खिड़की के पास जाकर देखना की वो बाहर आएगी तो सुनेगी।

वो कौन?…….हहहहह……ये भी कोई पूछने की बात है, अरे वो……… समझ जाओ ना।

अब आप मैं ही नही समझे तो वो क्या समझोगे।पहले बताता हूँ मैं कौन हूँ, वो कौन है बाद कि बात है।

मैं एक 17 साल का नाबालिक लड़का तरुण हूँ, हाल ही मैं 12वीं पूरी की है, मार्क्स कुछ खास नही, हाँ पहली दफा मैं ही पास हो गया मेरे लिए बहुत बड़ी बात थी। मेरा घर शहर के गली मोहल्लों में है, शहर बोले तो कोई बड़ा शहर नही था ये हल्द्वानी की बात कर रहा हूँ मै…. अब बहुत लोगो को पता नही होगा हल्द्वानी कहाँ है। हल्द्वानी उत्तराखण्ड के जाने माने जिले नैनीताल का एक हिस्सा है।

 अब बात आती है गली मोहल्लों की…… मेरा घर एक ऐसी गली में था जिस गली में करीब 40 घर है, 20 एक तरफ और ठीक उसके सामने 20 और थे। ठीक आमने सामने बीच मे 12 फिट की गली, मैं तो अभी कुछ दिन पहले ही आया था यहां, अपने मामा मामी के घर। ये तो रही मेरी बात, अब आते है कि वो कौन है…… थोड़ा शर्मिला हूँ मैं….ऐसे नही बता पाऊंगा वो कौन है। वो, वो है जो मेरे गानों को सुनती भी है या नही मुझे नही पता, लेकिन जब भी उसे देखता हूँ मेरे अंदर सातों सुर बजने लगते है।  मैं गाने चलाकर अक्सर खिड़की की तरफ जाया करता था और देखता था वो बाहर आ रही है या नही। क्योकि हमारे घर के ठीक सामने था उसका घर।

घर से निकलते ही

कुछ दूर चलते ही

शुरुआत बहुत कठिनाइयों में बिता….बहुत मुश्किलें आयी, क्योकि मुझे पता नही था वो कब क्या करती है, कब बाहर आती है, कब झाड़ू पोछा करती है, कब छत में कपड़े सुखाने जाती है। कुछ भी पता नही था । इससे बड़ी मुश्किल क्या होती मेरे लिए। थोड़ी सी आहट से मैं चौकन्ना हो जाता, हमारे दरवाजे के अलावा कोई भी दरवाजा आवाज करता तो मैं भागकर अपनी खिड़की के पास पहुंच जाता था, क्या पता वो बाहर आई होगी।

वो को वो ही रहने दो….नाम मे क्या रखा है, आप लोग मुझे समझदार लग रहे हो, समझ जाओगे।

हाँ तो कभी कभी दरवाजे की आवाज से मेरे खिड़की तक खिंचा आना सफल रहता, और वो नजर आ जाती। तो कभी वो आवाज शायद किसी और के घर की होती।

 

शाम को छत में जाना मेंरा शौक कभी नही था, पर बन गया था, क्या है ना हमारे शौक और आदतें कब बदल जाती है कुछ पता नही चलता। मेरी बहुत सी आदतें बदल गयी थी। खैर मेरी तो आदतें ही बदली ऐसी कंडीशन में लोग पूरी तरह बदल जाते है।

मेरे छत में जाने की टाइमिंग अक्सर उसके छत में आने के टाइमिंग से मैच करती थी। खुद करती थी ये तो संभव नही था , मुझे मैच करानी पड़ती थी। उसे छत में देखते ही मैं सेट वेट लगाकर छत की तरफ भाग जाता था। छत में वो अकेले नही होती उसके साथ होते थे दो छोटे छोटे बच्चे….वो खुद छोटी लगती थी लेकिन उतनी भी नही। इतना तो समझने लगी थी कि मैं ऊपर क्यो आता हूँ। लेकिन कभी जताया नही की उसे समझ आता है और मैं उसे नासमझ समझता रहा।

मैं उसकी तरफ आकर्षित होने लगा था, आकर्षण का वजह था जो उसने नजरो से अफवा फैलाई थी। हाँ यार……जैसे ही उसे मैं नजर आता तो वो ऐसे शरमाते हुए मुस्कराती थी कि जैसे मेरे ही नजर आने का इंतजार कर रही थी। मैं भी मुस्कराकर रह जाता था। 

अब आपस मे क्या बात करे, चलो बात तो कुछ भी कर लेते लेकिन मौका…… मौका तो मिलने से रहा, अब अगर छत में ही एक दूसरे को आवाज देंगे तो दोनो छत से चिल्लाने की आवाज आएगी

"….बचाओ बचाओ मामा मत मारो मुझे…." मेरे छत से……

उसकी छत का मुझे नही पता…. मुझे तो ये भी नही पता वो लड़की बोलती भी है या नही, क्योकि कभी मेरे सामने किसी से बात नही की…. पता नही उन बच्चों को बिना बोले कैसे संभाल लेती थी। शायद बोलती भी होगी तो मुझतक आवाज नही आती होगी 12 फिट की गली फिर दोनो के घर का बरामदा उसके बाद छत भला चिल्लाकर कौन बात करेगा। हाँ उसके छोटे छोटे भाई बहन बात करते थे तो आवाज आती थी, शायद बच्चे जोर से बोलते है खेलते समय, वैसे भी जोर से ही बोलते है बच्चे तो।

 मुझे कुछ दिन बाद पता चला कि जिन्हें मैं उस लड़की के भाई बहन समझ रहा था वो तो उसके भैया भाभी के बच्चे थे, और जिन्हें मैं उसके मम्मी पापा समझता था वो उसके भैया भाभी थे। उस हिसाब से बच्ची की बुआ……. अरे मुझे पसंद भी आई तो दो बच्चों की बुआ…… सुनने में कितना अजीब लग रहा है ना…… खैर कब तक बीती बात बताऊ और अपने मन को हल्का करु…

आज सण्डे है मैं सुबह सुबह भजन के बजाए प्यार मोहब्बत और इन्तजार के गाने सुन रहा हूँ, और बार बार खिड़की के पास जाकर झांक रहा हूँ।

वो आयी क्या…….???? आज भी नही आई……?????

एक हफ्ते से उसे बिना देखे ऐसा लग रहा है जैसे बहुत कुछ खो दिया है, झाड़ू पोछा उसकी भाभी लगाती है अपने घर मे….और कपड़े सुखाने उतारने भी भाभी ही आती है। फिर एकाएक स्पीकर ऑफ करते हुए हताश होकर पंखे के नीचे लेट गया। और सोचने लगा कि ना जाने कब आएगी लौटकर…. वो गयी तो गयी कहाँ। किससे पूछू ।

याद आता है जब मैं अपने घर आता साइकिल की घंटी बजाता इसलिए नही की कोई गेट खोलने आएगा, बल्कि इसलिए क्योकि घंटी की आवाज सुनकर वो अपने खिड़की के पर्दा एक बार खोलकर दोबारा बन्द कर देती थी। मैं रोज छत में रात को घूमता रहता था जब तक कि वो घूमती और उसके नीचे को उतरते समय मैं भी अपने चपल्लो की तेज आवाज छोड़ते हुए उतरकर जताता था कि हाँ मैं घूमने के लिए नही घूम रहा था मैं तुम्हारे लिए घूम रहा था।

वो कम ही घर से बाहर निकलती थी, निकलती भी थी तो किसी के साथ, बात करने का कोई भी मौका नही मिला था।

लेकिन आजकल कुछ दिन से वो जताती थी कि "हां तुम शुरू करो….मैं भी बात करूंगी"

अब उसकी हरकतों से मैने ये अंदाजा लगाया है, ये जरूरी नही सच हो, लेकिन हाँ कुछ तो वो भी सोचती होगी मेरी हरकतों को देखकर।

मैंने कई बार मामी को पूछा कुछ इस तरह से

"मामी आजकल तो आलसी बहु भी काम करने लग गयी, वो सामने वाली भाभी आजकल झाड़ू पोछा भी करती है कपड़े भी धोती है"

शायद मेरी मामी और उसकी भाभी के बीच बाते नही होती थी, मैंने कभी ना बात करते देखा ना उनके घर आते जाते.….मामी उनके अलावा बाकी सभी घरों में अक्सर आया जाया करती थी।

मामी ने सूखा से जवाब दिया- "ननद है नही घर मे तब कर रही है, वरना ये करने वाली"

"क्यो ननद कहां चली गयी" मैं मुद्दे में आने में ज्यादा देर नही करना चाहता था।

"पता नही….सुनने में आया है गाँव चली गयी अपने पापा के साथ….वहाँ पापा अकेले रहते है" मामी ने कहा।

"इसका मतलब अब हमेशा भाभी को करना पड़ेगा काम" मैं दुखी स्वर में बोला।

"तुझे बड़ी चिंता है भाभी की….अब करेगी ही काम तो, बैठके खाने की आदत भी छूट जाएगी उसकी" मामी कहते हुए किचन की तरफ चली गयी।

उसकी आदत तो छूट जाएगी बैठकर खाने की लेकिन मेरी खिड़की में जाकर उसे ढूंढने की आदत कैसे छूटेगी। क्या मैं छोड़ पाऊंगा खिड़की की आदत, शायद नही।मेरी तो आदत बन चुके थे खिड़की और वो.


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Romance