Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Chandra Prabha

Inspirational Children

4.5  

Chandra Prabha

Inspirational Children

कबूतर पर दया

कबूतर पर दया

4 mins
490


हंसते खिलखिलाते बच्चे। स्कूल में सब पढ़ाई कर रहे थे। दोपहर को टिफ़िन की घंटी बजी। बच्चों को आधे घंटे का समय खाने के लिए मिला। सब बच्चे क्लास से बाहर निकल गये। गर्मी के दिन थे। पंखा चल रहा था। पर किसी ने यह बंद करने का ध्यान नहीं दिया। टीचर के निकलते ही शोर गुल होने लगा। क्लास ख़ाली हो गई कुछ बच्चे क्लास में लौटे। कुछ अपना टिफ़िन लेने आए थे। कुछ क्लास से बाहर बैठकर खाना चाहते थे, तो कुछ बाहर मैदान में पेड़ के नीचे। 

   तभी कुछ बच्चों ने देखा कि एक कबूतर उड़ता उड़ता क्लास रूम में घुसा, वह कमरे में घूमते सीलिंग फ़ैन से टकराकर नीचे गिरा। उसका एक पंख पूरा का पूरा कट गया, वह खून से लथपथ फड़फड़ाता हुआ नीचे गिरा। चारों तरफ़ खून के छींटे फैल गए। अन्दर की अंतड़ी बाहर निकल आई। वह तड़फड़ा रहा था। इतना दयनीय और करूण दृश्य था कि जो बच्चे कमरे में घुसे थे और जो आ रहे थे सभी डरकर बाहर भाग गए। वहाँ उस दृश्य को देख न सके। 

    तभी एक बच्ची कमरे में घुसी, उसने कबूतर को देखा और देखती रह गई। उसके साथ की कोई लड़की उसके साथ नहीं रुकी और उन्होंने उसे भी बाहर भागने को कहा। पर बच्ची ने कहा कि हमें कबूतर की मदद करनी चाहिए। उसे कबूतर का दर्द देखा नहीं गया। कैसे कबूतर का कष्ट काम करे ।उसे कुछ समझ में नहीं आया तो स्कूल के जमादार को बुलाकर लाई और उससे कहा कि कुछ करो। 

    जमादार बोला," हम क्या कर सकते हैं। अब तो कबूतर बचेगा नहीं, मर ही जाएगा। तड़पकर मरने से अच्छा है कि इसे मार ही दिया जाए।"

       जमादार ने कहा ," हम हाथ से तो इसे नहीं छूएंगे, हमारे पास झाड़ू है, झाड़ू से मारेंगे, इससे यह मर जाएगा।"

     बच्ची ने कहा," झाड़ू से मारोगे तो तुरंत तो नहीं मरेगा , और तड़पाओगे। एक तो वैसे ही चोट लग गई है, ऊपर से झाड़ू से मारोगे। तुरंत मार दो ऐसा कुछ करो।"

   जमादार ने कहा," ऐसा तो नहीं हो सकता।" और यह कह कर वह चला गया। 

     बच्ची को कुछ नहीं सूझा। लेकिन कबूतर का दर्द और पीड़ा वह महसूस कर रही थी। कैसे कबूतर की पीड़ा कम की जाए ,कैसे उसे बचाए। 

    बच्ची ने करुणा से विगलित हो फड़फड़ाते कबूतर को गोद में उठा लिया, एक हाथ में उसका कटा पंख भी उठा लिया, इस उम्मीद में कि शायद डॉक्टर कटा पंख जोड़ देंगे, और कबूतर ठीक होकर फिर से उड़ने लायक हो जाएगा। 

     एक हाथ में कबूतर को पकड़े हुए, एक हाथ में पंख पकड़े हुए, वह दौड़कर क्लास रूम से बाहर आयी और कबूतर लेकर स्कूल के फ़र्स्ट एड रूम की तरफ़ जाने लगी। कबूतर से खून बह रहा था, खून बहकर बच्ची की स्कर्ट पर गिरा, उसके हाथ की कोहनी की तरफ़ बह आया, पर उसमें कबूतर को बचाने की व्यग्रता में इसकी कोई चिंता नहीं की। उसके दोस्तों ने कहा कि छोड़ दो इसे, खून टपक रहा है, तुम्हें खून देखकर डर नहीं लग रहा?

    यह दूसरी लड़की ने कहा," मैं तो बेहोश हो जाऊंगी मैं खून नहीं देख सकती।" 

    कोई बच्चा सहायता के लिए आगे नहीं बढ़ा। बच्ची ने कहा," तुम्हें खून दिख रहा है, मुझे कबूतर का दर्द और पीड़ा दिख रही है । तुम डॉक्टर बनना चाहती थी तो कैसे बनोगी?

   वह लड़की बोली ," मैं आदमियों के डॉक्टर बनूँगी ,पक्षियों की नहीं।"

    बच्ची कबूतर के लिए नर्स के पास पहुँची और उससे कबूतर को दवा लगाने व पट्टी बाँधने को कहा।

    नर्स ने कहा," यह मेरा काम नहीं है, मैं कबूतर को नहीं छू सकती।"

    बच्ची ने कहा," क्यों नहीं छू सकती? क्या इसमें प्राण नहीं है? क्या यह जीव नहीं है? क्या इसे पीड़ा नहीं होती? आपको इसको दवा लगानी होगी, पट्टी बाँधनी होगी। "

    आखिरकार नर्स ने कबूतर को दवा लगायी और पट्टी बाँधी। बच्ची ने फिर कबूतर को पकड़ा, एक हाथ में उसका पंख उठाया और लेकर चली। तभी एक सहपाठी लड़का मदद को आगे आया, और उसने कहा," लाओ कबूतर को मैं पकड़ लेता हूँ।"

   लड़के ने कबूतर को पकड़ा, बच्ची पंख लिए रही , दोनों ने जाकर एक पास की झाड़ी में कबूतर को छिपाकर रख दिया। 

       उनकी क्लास का टाइम हो रहा था, टीचर आने वाली थी। दोनों क्लासरूम में आए। पढ़ाई ख़त्म हुई, घर जाने का समय आया। फिर बच्ची झाड़ी के पास गई, कबूतर वहाँ बैठा था। बच्ची ने हाथ में उसे उठाया, पंख भी उठाया, और अपनी एक दोस्त से,जो कार में आयी थी ,कहा," तुम्हारे घर के पास वैट हॉस्पिटल है, वहाँ वैट डॉक्टर के पास कबूतर को छोड़ दो।"

    दोस्त ने कहा, "पर मैं कबूतर को नहीं छू सकती, तुम मेरी कार में ले जाकर कबूतर को रख दो, तो मैं इसे हॉस्पिटल में छोड़ दूंगी।"

    बच्ची ने कहा ," मेरा घर स्कूल के पास है, तुम अपने कार से मुझे मेरे घर तक छोड़ दो। मैं अपने कार से कबूतर को अस्पताल पहुँचा दूंगी"

   इस तरह उस बच्ची ने कबूतर को सुरक्षित वैट अस्पताल तक पहुंचाया।

      गौतम बुद्ध की करुणा हंस को बचाने में थी, जो देवदत्त के तीर से घायल हो गया था। यहाँ एक अबोध बच्ची की करुणा कबूतर के लिए उमड़ी। गुणों का अभाव नहीं है। कहा भी गया है," गुन न हिरानो है, गुनगाहक हिरानो है"। गुणों की कमी नहीं है, पर गुणों को पहचानने वालों की कमी है।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational