मुँह मत मोड़ो !
मुँह मत मोड़ो !
चाँदनी रात में अलकनन्दा के तट पर , जल से हाथ धो रहा था वीरेन। चारों तरफ वीराना ही वीराना सिर्फ वह और नीरजा ! जो शादी के बाद हनीमून के लिए पहाड़ पर आये थे।
चाँद पुरजोर चमक फैला रहा था... कुछ मंत्रों का अस्पुष्ट स्वर सुनाई दिया नीरजा को , नदी तट की खूबसूरती निहार रही थी वो , उसकी तन्द्रा भंग हुई ,
“क्या बुदबुदा रहे हो ! चलो अब " नीरजा को डर सा लगा।
“ चल रहा हूँ ! जल्दी किस बात की है गेस्ट हाउस में कोई तुम्हारा इंतजार तो नही कर रहा... मै तो यही हूँ ,”
' मजाक छोड़ो मुझे डर लग रहा है '
"कितनी डरपोक हो तुम ! "
नीरजा .... "हाँ मै हूँ ! तुम्हे नहीं पता पहाड़ पर भूत कितने भयावह होते है। ”
“ चलो डरपोक कही की , ”
मुस्कुरा पडी नीरजा उसकी मुस्कान से चांदनी जोरो से चटक गयी।
“ ओह , तुम कितनी सुन्दर हो ! तुम्हारें गालों के डिम्पल तो जानलेवा है न जाने कितनों का कत्ल करोगी ?? मुझे तो घायल किया है ! वीरेन ने उसे बाँहों में भर लिया
“वीरेन बहुत बोलते हो ! “ तुम कहो तो बोलना ही बंद कर दूं ? ”
“यह नही कहा मैने |" अपनी नयी नवेली दुल्हन को चिढाने में वीरेन को बहुत मजा आ रहा था।
“ अच्छा ठीक है ”!
“कल वापस चले घर की बहुत याद आ रही है ”
‘ क्यों तुम्हे तो जंगल पहाड़ बहुत पसंद है अब मन भर गया | " कल ही वापस चलते है।
“ हाँ ! नीरजा चहक उठी।
दोनों पहाडी संगीत सुन रहे थे कार में .. “ कितना दिलकश है न!”
“तुम्हे समझ आ रहा है,”
“ नही ,”
“पर महसूस हो रहा है |”
“.मेमसाहब ठीक कह कह रही है साहब , यह गाना यहाँ बहुत पंसद करते है सब , जिसमें प्रेमिका अपने प्रेमी से शिकायत कर रही है कि वह उसे छोड कर न जाया करे |
वो अपनी मजबूरी बताता है |”
वीरेन खिलखिला कर हँसने लगा , नीरजा ने मुंह मोड़ लिया !
अचानक कार का बैलेंस बिगडता जाता है सीधा खाई में…
हास्पिटल में वीरेन बेहोशी की हालत में बुदबुदा रहा था
“नीरजा मुंह मत मोडो मै मजाक कर रहा हूं सॉरी… .”
अगले दिन अखबार में खबर छपी थी कल शाम चम्बा में सड़क के मोड़ पर कार अनिंयनत्रित हो खाई में जा गिरी। कार चालक व सवार सवारियों में से युवती की मौत जबकि युवक को गंभीर चोटे आयी है।