कौन है वह!
कौन है वह!
आसमान में काले घनेर बादले छाये हुए थे रह रह कर बिजली कड़कड़ा रही थी... तेज हवायें मानों सबकुछ उडाने की फिराक में हो।
"माँ जी, आज की पूजा कैसे करेगें कितना अजीब लग रह है। " "तुम डरों नही ! अगर यह पूजा नही हुई तो वह आत्मा यहां से कभी नही जायेगी पता नही कितने वर्षो से मेरे घर में है और एक एक करके परिवार के सदस्यों को मौत के मुंह में पहुचा चुकी है। पंडितजी ने बताया था कि तुम्हारे अन्दर वो शक्तियां है जो उसका मुकाबला कर सकती है। वो अपना पूरा जोर लगायेगी, पूजा नही होने देगी।"
"तुम्हे अपनी पूरी ताकत से उसका मुकाबला करना है अगर तुम चाहती हो की तुम्हारे बेटे और पति को कुछ न हो तो तुम्हे यह करना ही होगा हमारे पास कोई चारा नही। मुझे कितनी बार चोटिल कर चुकी है।"
" माँ जी हम यह जगह छोड क्यों नही देते दूर चले जाते इस जगह को छोड कर ."..? यह भी कर के देख चुकी हूं मै इससे पहले तुम्हारी दादी सास ने भी किया लेकिन हालात बनते गये और हम इस घर को छोड ही पाये। दोष मकान का नही है दोष तो इस परिवार के लोगो का है।"
ऐसा क्या हुआ था ? सुगंधा ने सास से पूछा एक गहरी सांस छोडते हुए ईजीचेयर पर बैठी मालती ने जवाब दिया।
"ठाकुरों का परिवार है यह बरसों पहले इस परिवार में एक चौधरी ने गरीब पंडित की लडकी को अपनी हवस का शिकार बनाया ..उसे कैद कर लिया तहखानें में वहीं उसने अपने प्राण त्याग दिये।
क्रमशः .....