कौन है वह! कहानी का तीसरा भाग
कौन है वह! कहानी का तीसरा भाग
पंडित ने घेरा बना दिया , सुगंधा को कहा-"तुम उसमें बैठो सुगंधा वो तुम पर हमला करेगी पर डरना नही घेरे से बाहर नही आना चाहे कुछ भी हो"
"ठीक है "!
सुगंधा आँखे बंद व मंत्रो का उच्चारण शुरू हो गया ... अचानक तेज तेज चीखें गूंजने लगी ।
" तू फिर आ गया पंडित... तुझे लगता है .....मै चली जाऊंगी.. हा हा हा.....
भंयकर हंसी ...
एकाएक हंसी रोने में तब्दील हो गयी उस करूण रूदन से सुगंधा ज्यों ही विचलित हुई ।साँसू माँ को सशरीर हाल की छत पर चिपका पाया ।पंडित एक तरफ पड़ा था।सुंगधा के मंत्र बंद हो गये।नेत्र खुल गये ।
वो कामयाब हो गयी फिर हंसी की चीत्कारे।ज्यों ही माँ जी का जिस्म निश्चेष्ट जमीन की ओर आने लगा।सुगंधा घेरे को लांघ गयी , किसी अनहोनी की आंशका से पर वो तो होना ही था। अपनी चाल में कामयाब हो गयी प्रेतआत्मा। सुगंधा ने ज्यों ही नीचे गिर पडे माँ के चेहरे को देखा। निडरता डर में तब्दील हो गयी, चेहरा विकृत हो खुन से सना था प्राण न थे शेष । इस बार माँ जी की बलि ले ली उसने ।
.....
मालती का अन्तिम क्रियाक्रम हो चुका था ।बाकी के मेहमान भी वापिस जा चुके थे । कुंवर का रो- रो कर बुरा हाल था ।
"सुंगधा! मैने तुम्हे मना किया था। यह पूजा पाठ सब ढोंग है" । "मेरी माँ भी दुनिया से चली गयी"।
...कुंवर बैचेन था उसने ठान लिया सुंगधा को यहां नही रखेगा । वरना न जाने उसके साथ क्या होगा ।
क्रमश