सुखों से बेहतर सीख गमों की
सुखों से बेहतर सीख गमों की
सुख-दुख हर जीवन के हिस्से,
सम-भाव से ही देखें इन्हें हम।
सुखों से बेहतर हमें सीख देते,
हैं हमको हमारे सारे ही गम।
रोज ही होती है सुबह - शाम,
आता और जाता है शीत-घाम।
समय नहीं है ठहरता कभी ,
सदा ही रहता है चलता अविराम।
फिसलता रेत सम मुट्ठी से अविरल,
अगणित यत्नों से न रोक सकें हम।
सुखों से बेहतर हमें सीख देते,
हैं हमको हमारे सारे ही गम।
कितना भी इंसान कमा ले पर न,
पूरी कभी हैं होती उसकी इच्छाएं।
एक के पूरा होते ही अनेक नई मन में,
ललचा करके विविध सपने जगाएं।
कहा तृष्णा गौतम बुद्ध ने इनको इनसे,
असह्य-दुख पाता हर नर का है मन।
सुखों से बेहतर हमें सीख देते,
हैं हमको हमारे सारे ही गम।
रहे एकरूपता ही यदि जीवन में तो,
बड़ी ही ऊब तब भी मन में है होती।
खून के अश्क पड़ सकते बहाने बचाकर,
स्वेद बहाने से मिलते हैं चमकीले मोती।
निठल्लापन- आलस अति सुख है देता ,
श्रम देता अनुभवी और सशक्त तन-मन।
सुखों से बेहतर हमें सीख देते,
हैं हमको हमारे सारे ही गम।
तप कर बलिष्ठ बनाएं हम निज तन,
मन को तो गमों से रखें सदा हम दूर।
हम सदा रहें खुश सबको लुटा के खुशियां ,
सफलता मिले निश्चित जीवन में भरपूर।
जिन हालातों को हम बदल सकें ना,
उन्हें स्वीकारने से होगा सुखमय जीवन।
सुखों से बेहतर हमें सीख देते
हैं हमको हमारे सारे ही गम।