मुसकान की पहली रसोई
मुसकान की पहली रसोई
नैना जी की नई बहू मुस्कान की पहली रसोई है। सुबह ही जल्दी उठकर नहा-धोकर सज-धज कर नई बहू किचन में आ गई। उसकी समझ नहीं आ रहा था कि क्या बनाये? सब कुछ उसके लिये नया नया था। मुस्कान इसी कशमकश में लगी थी कि एक सहज मीठी सी आवाज़ आई| मुस्कान तुम इतना जल्दी क्यों उठ गई बेटा? प्यार का अहसास था उन् स्वरों में, मुस्कान ने पीछे मुड़ के देखा तो सास हाथ में शादी के हिसाब के कुछ पन्ने लिए खड़ी थी। शादी की दौड़भाग में कितना परेशान हो गयी होगी, फिर घरवालो की याद भी आ रही होगी, ऐसे में अगर नींद पूरी नहीं करोगी तो अपनी तबीयत बिगाड़ लोगी। सास ने हिसाब के पन्नों को टेबल की ड्रॉर में रखते हुए कहा। यह क्या? ये तो बिल्कुल वैसी नहीं है जैसा मैंने सोचा। मैं तो पिछले कितने महीनों से जल्दी उठने की प्रैक्टिस कर रही थी और यहाँ तो कुछ और ही हो गया। मेरी पूरी पढ़ाई घर से दूर रह कर होस्टल में हुई है। जिस कारण घर के कामों में उतनी कुशल नहीं जितना एक नई बहू को होना चाहिये। तब मुस्कान ने कहा मम्मी जी आज मेरी पहली रसोई है। मेरी समझ में नहीं आ रहा है कि मै क्या बनाऊँ? तब मम्मी जी ने कहा हमारे यहाँ नई बहू को एक रोटी बनाने का रिवाज है। सुनकर मुस्कान आश्चर्य मे पड़ गई। मम्मी जी आप तो मजाक कर रही हैं। तब नैना जी ने कहा नहीं बेटा , हमारे यहाँ चूल्हा छूने के लिए बहू एक रोटी बनाती हैं। बाकी सब मेड बनाती हैं। मटर पनीर की सब्ज़ी, गाजर का हलवा और आलू के पराठे सब मेड को बनाने के लिये बोल दिया है।
ये सब तो मेरी पसंद के सामान हैं, मेरी फेवरिट डिशेज़। समझ में नही आ रहा था कोई सपने में तो नहीं कह रहा। नहीं नहीं ये तो सास ही बोल रही है।
नैना जी ने मुस्कान की सहमी , डरी और आश्चर्य भावों को भाँप लिया। वह मुस्कान को अपने पास बिठाकर बोली "मुस्कान, शादी लड़की की परीक्षा नहीं है । जहां कदम कदम पर उसे किसी टेस्ट में पास होने पर नंबर दिए जाएं। तुम्हारी शादी केवल मेरे बेटे से नहीं हुई है। जितनी तुम्हारी खुशियों की ज़िम्मेदारी मेरे बेटे की है उतनी हमारी भी। मैं तुम्हे इस घर में केवल काम करवाने, तुम्हारी खूबियों को परखने, तुम्हारी आजादी को छीनने या तुम हमारे लिए क्या -क्या बलिदान कर सकती हो, ये जानने के लिए नहीं लाई हूँ। मुझे तो सिर्फ एक दोस्त एक साथी चाहिए। जब मैं कभी कमज़ोर पड़ जाऊ तो मुझे संभाल सके। मोती के माला का वो हिस्सा चाहियेे जो घर के सारे मोतियों को प्यार और स्नेह की माला में पिरोये रखे। मैं नही मानती कि बहू को सुबह जल्दी उठकर नहा धोकर पूजा कर लेनी चाहिए या उसे खाना बनाने में दक्षता हासिल होनी चाहये। अगर उसे कुछ आना चाहिए तो प्यार करना। परिवार से, छोटे छोटे बदलाव से और सबसे ज़रुरी खुद से। बिल्कुल ठीक सुना तुमने| जब तुम खुद से प्यार नहीं करोगे, तुम खुश नहीं रह पाओगी। ये शादी तुम्हारे सपनों की कुरबानी नहीं है बेटा, तुम्हारे सपनों की उड़ान है। हम सब तुम्हारे साथ हैं, हर कदम, हर पल, हर समय।और आज हमारे परिवार के नए सदस्य का स्वागत हम उसके पसंदीदा खाने से करके कर रहे हैं।"
ये लेख उन सभी सास को समर्पित है, जिन्होंने अपने प्यार, व्यवहार, सोच से सास की छवि को बदला। नारी को नारी का सम्मान करना सिखाया।