ये मेरे नाम की तख्ती है
ये मेरे नाम की तख्ती है
"आंटी , ये घर प्रिया मैडम का है ना? ज़रा प्रिया जी को बुला दीजिए , उन्हें हमारे प्रोग्राम में इनवाइट करना है!"
"ये घर प्रिया का नहीं... ये मेरा घर है। तुमने यह नाम की तख्ती नहीं देखी क्या...? तो फिर तुमने ऐसे कैसे पूछ लिया कि, प्रिया का घर यही है? "
सीमा जी ने उस लड़के को घूरते हुए गुस्से से कहा। सीमा जी की तेज़ कर्कश आवाज़ अगल बगल के पड़ोसियों ने तो सुना ही। और सामने वाली मिश्राइन तो अपनी उत्सुकता दबा नहीं पाई और गेट से बाहर आकर सुनने लग गई कि... अब देखें... आगे क्या तमाशा होनेवाला है।
और उधर रसोई में काम करती हुई प्रिया के हाथ एकदम रुक गए और सांस ऊपर की ऊपर रह गई कि... पता नहीं अब सीमा जी उसे अंदर आकर कितना कुछ सुनाएंगी। आज तो उनका गुस्सा झेलना बड़ा मुश्किल हो जायेगा !"
खैर... वो लड़का तो इनविटेशन कार्ड देकर चला गया। अब जब सीमा जी ने गेट बंद किया और बड़बड़ाते हुए ड्राइंग रूम में प्रवेश किया तो बाप बेटे चुपचाप चाय पीने का स्वांग करने लगे। दोनों को पता था कि... अब ज्वालामुखी फटनेवाला ही वाला है... विस्फोट होने ही वाला है....और फिर सीमा जी बेचारी प्रिया को क्या-क्या सुनाएंगी उसका कोई ठिकाना नहीं सबसे ज़्यादा तो उन्हें प्रिया पर तरस आ रहा था।
और... सीमा जी का बड़बड़ाना चालू था कि....
"गेट के सामने ही नेम्पलेट का इतना बड़ा बोर्ड लगा है। वहां पर साफ-साफ बड़े अक्षरों में सीमा सदन " लिखा हुआ है। लेकिन इन मुओं को दिखता नहीं है।
अरे... ऐसे कैसे कहते हैं पिया का घर है। हाँ... प्रिया इस घर की बहू है और इस नाते इस घर में रहती है । पर यह घर तो उसका नहीं है ना ?
कहाँ तो हमने सारी जिंदगी की कमाई लगाकर ये घर बनाया और जो तब जाकर उस पर मेरा नाम लिखा गया है।
पर... इस घर में...
कुछ लोगों को इतना भी बर्दाश्त नहीं होता है । इस घर को अपना बताकर और मेरे जीते जी इस घर को हथियाने पर तुले हुए हैं !"
