एक नए युग की शुरुआत करो
एक नए युग की शुरुआत करो
नहीं बनो सीता का रूप ना द्रौपदी का परछाया,
दुर्गा और काली बनने का, वक़्त है अब निकट आया,
सदियों से नारी पर होते प्रहार को, अब रोकना होगा,
प्रतिघात के लिए अब तुम स्वयं ही तैयार रहो,
एक नए युग की शुरुआत करो,
नहीं केवल पुरुष ही, नारी भी तो कमांडो बनती हैं,
निज सुरक्षा क्या चीज है, दूसरों की रक्षा भी करती है,
तुम भी उनका ही प्रतिबिम्ब तो हो, उठो जागो,
समेट कर अपनी ताकत, नए युग का शंख नाद करो,
एक नए युग की शुरुआत करो,
एक नहीं, बल है तुममे इतना, दो चार को पटक सकती हो,
पोंछकर आंखों से आँसू, तुम अंगारों से वार करो,
डरो नहीं तुम कमजोर नहीं, बनकर मर्दानी हैवानों का नाश करो,
नज़र तक मिला ना पाए कोई, ऐसा कुठाराघात करो,
एक नए युग की शुरुआत करो,
जन्म देती है मर्द को स्वयं नारी, जो इतनी पीड़ा सह लेती है,
उस अविश्वसनीय अद्भुत शक्ति को तुम याद करो,
घात करे कोई तुम पर, इतनी औकात ना उसकी होने दो,
वीरांगना हो स्वयं में तुम, अपनी शक्ति पर विश्वास करो,
एक नए युग की शुरुआत करो।
नहीं देखना अब पीछे मुड़कर, आगे बढ़ने की शुरुआत करो,
मिले अगर कांटे राहों में, उन राहों को तुम साफ़ करो,
दायरे नहीं अब सीमित, हर क्षेत्र में सफलता का आगाज़ करो,
सर्व गुण सम्पन्न हो तुम, अपने हर गुण का सदुपयोग करो,
एक नए युग की शुरुआत करो।