कलमा मेरी दोस्ती का
कलमा मेरी दोस्ती का
कहीं घर, कहीं परिवार, कहीं यार का नाम है,
कम्बख्त हम तो अपनी दोस्ती में बदनाम है।
हम गुफ्तगू का मौका कतई नहीं छोड़ते हैं,
किसी को कमीनी तो किसी को लुच्ची बोलते हैं।
दोस्तों की आहट ने कुछ ऐसा वार किया,
एक झलक ने जिंदगानी को सवार दिया।
वैसे यारी हमारी तीन साल पुरानी है,
महसूस करे तो ये सदियों की कहानी है।
आफताब की रोशनी वो ला देते हैं,
मुस्कराहट भी लबो से उधार लेते हैं।
मेरे खुदा की बस यूँ ही इनायत रहे,
काश दोस्ताना हमारा सलामत रहे।
हम कमबख्त यूँ ही बदनाम रहेंगे,
जब तक ये सूरज और चाँद रहेंगे।