खुद से प्रीत लगा ले
खुद से प्रीत लगा ले
चिंता को तू कर दे टाटा, मन में अलख जगा ले,
खुद-सा साथी नहीं मिलेगा, खुद से प्रीत लगा ले ।
जब चलना नहीं सीखा था, गोद में लोग उठाते,
जबसे हमने चलना सीखा, कदम-कदम पर गिराते ।
उठना चलना गिरना, खुद को फिर से उठा ले,
गिरने को तू कर दे टाटा, खुद से प्रीत लगा ले ।
चुप रह कर बर्दाश्त करें तो, रहते सबके प्यारे,
अगर हकीकत बयां करें तो, कर देते सब न्यारे ।
दुनिया का दस्तूर यही है, जुबां पे ताला लगा ले,
या दस्तूर को करदे टाटा, खुद से प्रीत लगा ले ।
अजब जिंदगी कभी हंसाये, और कभी रुलाये,
रहते जो हर हाल में खुश, उनसे हाथ मिलाये ।
जो नसीब है उसे मान के, प्यार से गले लगा ले,
या नसीब को करदे टाटा, खुद से प्रीत लगा ले ।
कोई आगे कोई पीछे, सभी के मन में समाया,
कभी धूप है कभी छाँव, कोई समझ ना पाया ।
जल्दी है ना देर से कोई, मन को ये समझा ले,
शिकवों को कर दे टाटा, खुद से प्रीत लगा ले ।
पक्षियों का कलरव सुन, ताल से ताल मिला ले,
चार दीवारी से निकल, कुदरत से प्रीत बढ़ा ले ।
सर्दी गर्मी पतझड़ बारिश, आयेंगे और जायेंगे,
छोड़ बहाना उम्र का, ‘योगी’ को मीत बना ले ।
चिंता को तू कर दे टाटा, मन में अलख जगा ले,
खुद सा साथी नहीं मिलेगा, खुद से प्रीत लगा ले ।