चुपके-चुपके
चुपके-चुपके
चुपके चुपके दिल रोया है
आग बहुत है सीने में
संघर्षों का पग पग जीवन
हिचक तनिक न जीने में
बंधी मुष्टीका तप्त शिराऐं
आक्रोशित मंथन चिंतन
आह बेड़ियाँ दिए विवशता
दहक रहा शीतल चंदन
ताक रहा प्रण शिखर हिमालय
काल जा रहा विष पीने में
चुपके चुपके दिल रोया है
आग बहुत है सीने में
पत्थर क़ातिल हुआ फ़र्ज़ का
बहरे आंधर शैतानी
अपनी माँ की ज़ुल्मी संतति
नीति नियत मन देगानी
जितनी चादर मिली फाड़ दी
हम वक्त गंवाते सीने में
चुपके चुपके दिल रोया है
आग बहुत है सीने में
चाँदनी चौक पड़ा सुस्ताता
चौपाटी चुपचाप मिली
प्रयोग नीति की वजहों से ही
धूर्त बेगरद बांछ खिली
ईमान सियासी कहाँ छिपेगा
जर्जर पर्दे झीने में
चुपके चुपके दिल रोया है
आग बहुत है सीने में !