मुझे चुप ही रहना
मुझे चुप ही रहना
कह कर के देखा
सह कर के देखा
रिश्तों की ख़ातिर
चुप रह कर के देखा।
ये दुनिया है बहरी
सुनती नहीं है
ख़्वाबों को मेरे
ये चुनती नहीं है।
इसकी अपनी ही रंगत
अपनी ही संगत
कहाँ आ गया इसमें मैं मिलने
मेरी तो इसमें गिनती नहीं है।
विरह कर के देखा
जिरह कर के देखा
भावनाओं में मैंने
बह कर के देखा।
अब मुझे कुछ भी नहीं कहना
मुझे चुप ही रहना
रहने दो छोड़ो
मुझे चुप ही रहना।।