आज़ादी
आज़ादी
जब भी अगस्त, और जनवरी आती है,
तभी क्यों सब को, देश की याद आती है।
दिल में जिसे सजाना चाहिये, उस तिरंगे से,
सिर्फ एक दिन क्यों, गलियाँ सजाई जाती है।
देश का हाल सच में क्या जाना है तूने,
बस स्टेटस और प्रोफाइल, बनाई जाती है ।
बस तू खामोश बनकर, तमाशा देख,
सच के बाज़ार में यहाँ, झूठ की सप्लाई जाती है।
सोच न यार, क्या सच में तू आज़ाद है ?
साथ में दीवाली और ईद, कहाँ मनाई जाती है ।
जब भी अगस्त, और जनवरी आती है,
तभी क्यों सब को, देश की याद आती है ।