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Versha Gupta

Tragedy

5.0  

Versha Gupta

Tragedy

बाबा का त्याग

बाबा का त्याग

1 min
212


मैं थी नादान, मैं थी अनजान

बस करतीथी, शिक्षा पर अभिमान

ना देख पायी, बाबा के हाथ के घाव

ना देख पायी, बाबा का त्याग।


सिर्फ दिखायी दिया, माँ का प्यार

बस याद रही, बाबा की फटकार

ना दिखायी दिया, माँ-बाबा का समर्पण

ना दिखायी दिया, उनकी आँखों का दर्द।


नहीं मिलती शिक्षा, हर किसी को

होता हैं झोले का बोझ, सबके कांधो पर

किसी के रद्दी का, किसी के किताबों का

माँ-बाबा के त्याग से बनते भाग्यवान वो।


ना करना कभी, शिक्षा पर अभिमान

ना करना कभी, माँ-बाबा का तिरस्कार

ना करते वो मेहनत, ना तुम बनते अफसर

ना करते वो काले हाथ, ना होता तुम्हारा घर रोशन।


मैं थी नादान, मैं थी अनजान

बस करती थी, शिक्षा पर अभिमान

ना देख पायी, बाबा के हाथ के घाव

ना देख पायी, बाबा का त्याग।


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