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Vikash Kumar

Romance

5.0  

Vikash Kumar

Romance

कर आलोकित मेरे पथ को

कर आलोकित मेरे पथ को

1 min
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कर आलोकित मेरे पथ को,

जीवन को एक राह दिखा दी,

भर मुझको बाहों में तुमने,

जीने की एक आस जगा दी।

मैं सूनी राहों का पँछी,

जीवन पथ पर उलझा उलझा,

तुमने गीत सुहाने गाकर,

खुशियों की एक प्रीत जगा दी,

कर आलोकित मेरे पथ को,

जीवन को एक राह दिखा दी।


कभी कभी यूँ हो जाता है,

गीत मिलन के मन गाता है,

सावन अश्रु बन बह जाता,

पिय की छवि के गुन गाता,

मेरी यादों में आकर तुमने,

फिर जीने की आस जगा दी,

कर आलोकित मेरे पथ को,

जीवन को एक राह दिखा दी।


मैं भटका था जीवन पथ पर,

दो पल तुमको देख न पाया,

मंजिल पास खड़ी थी मेरे,

मिलकर तुमसे ना मिल पाया,

तुमने राह रोकर मेरी,

मुझ मूरख को राह बता दी,

कर आलोकित मेरे पथ को,

जीवन को एक राह दिखा दी।



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