मुलाकात
मुलाकात
वक्त से आज मुलाकात मेरी हो जाए
वफा की तुमसे बात आज मेरी हो जाए
कैसे बिछडे थे कभी हाथ मिलाकर तुमसे
रूबरू तुमसे सनम आज मेरी हो जाए
लम्हाे चाहत को भूलाना बहुत ही मूश्किल है
फिर गिला तुमसे जुदाई की सनम हो जाए
दिल है नादान मोहब्बत मे आज भी मेरा
ज़िद भी बच्चे की तरह आज मेरी हो जाए
चाँद को देखा किया तुमको ढ़ुंढ़ता मै रहा
हसरते दीद सनम दिल की पूरी की जाए
वक्त मिलने का मुकरर तु रोज़ करता है
आ भी जाओ की मिलन आज पूरी हो जाए
कितना दिलकश है फिज़ा
और ये हसीन मंज़र
ख्वाब रंगीन हसीन
आज पूरी हो जाए !