इन्द्र-शची
इन्द्र-शची
इन्द्र आत्मा है तो,
शची है बुद्धि,
स्थापित परिवार में,
आत्मिक शुद्धि।
ज्यूँ आत्मा चलाये,
सजीव शरीर,
बुद्धि देती रहे उसे,
स्वस्थ तहरीर।
पति गर अर्जित करे,
पालन को जीविका,
पत्नी हाज़िर करे,
व्यावहारिक-निर्देशिका।
मूर्धा,उग्र विवाचिनी,
कहलाती है सहाना,
परिवार-बदन पर,
ज्यूँ सुशोभित एक गहना।
पुरुष केतु, ज्ञानी,
वक्ता, अग्रगण्य, ध्वजावत,
स्त्री माता, कन्या,
बहिन, भार्या अनवरत।
पुरुष-इन्द्र, आत्मा, संरक्षक,
मुखिया, अर्जक,
अनुष्ठान सपन्न होवे,
जब बने स्त्री-पुरुष योजक।