औरत है तू
औरत है तू
रात की कड़वाहट को हर रोज
सुबह की चाय में घोल के पीना
दिन भर के जले कटे शब्द
रात के खाने में निगल जाना।
फिर वो दूसरे दिन के सुबह की
मन लगा के तैयारियाँ करना
संघर्ष, यही है दूसरा नाम औरत तेरा
सबके लिए सबकुछ करना काम तेरा
पर जब बात तेरे आत्मसम्मान की हो
सबसे लड़ जाने की ताकत रखती हो
यही है आरजू तेरे, मेरे मन की भी
सुकून और प्यार की कमी ना हो कभी।
जरा सा तू जीना सीख खुद के लिए
खुद की पसंद को पलकों पे बैठाए
तुम दिल से हरदम मुस्कुराती रहना
और उस खिले हुए चेहरे को देखना।
आईने में जब देखोगी खुद को
हाँ, वही तुम असलियत में हो
बस इतनी सी शिकायत है तुझसे
सहना ना अन्याय किसी भी प्रकार का।
तोड़ दे चुप्पी कोई कुछ नहीं बोलेगा
छोड़ ये डर समाज क्या कहेगा
तोड़ अनचाहे से हजारों बंधन
जो बन रहे हैं अंदर से रूकावट।
तू उड़ सपनों के लगा के पंख
तु कर लेगी खास कुछ धीरज रख
तु बस कदम आगे बढ़ाती रहना
है तू पुरे विश्व का अटुट सा हिस्सा।
तु खुद से प्यार करने की शुरुआत कर
झुकेगा सारा जहाँ तेरा तेज देखकर
जीना हर इक पल उत्सव की तरह
खुद का साथ ना छोड़ना साये की तरह।
वक्त के साथ साथ खुद को ढालती रहना
खुद का भी अच्छे से ख्याल रखना सीखना
जब मन के खिलाफ कुछ हो आवाज़ उठाना
खुद को भी थोड़ी सी खुशियाँ देती रहना।
जो बात करनी है धैर्य से कर लेना
कुछ मुश्किल नहीं ये बात समझ लेना
सहमी-सहमी सी आगे से मत रहना
जो जैसे है करना दिल खोल के जी लेना।
याद रखना एक ही जीवन है यहाँ
खुद की इच्छाओं को जीवन दान देना
औरत है तु समझ के चुप मत रहना
औरत का जीवन नही आसान इतना।
हर रिश्ते को संभालने की ताकत है तुझमे
तू ना होती तो पता नहीं दुनियां होती कैसे
तू खुद ही तो है अनोखी पहचान खूबसूरती की।
खुद में ही समाया सब कुछ तूने,
तू एक देवी सी।