मत्तग्यन्द सवैया
मत्तग्यन्द सवैया
काल कराल कमाल करे,
कब भक्त कपालि अकाल सतावै
प्रेम, प्रभूति, पराक्रम औ,
परिख्याति, परंजय, पौरुष पावै
भाव भरी, मनसे, भगती,
भय, भूत, भजा, भवभूत मिलावै
ध्यान धरौ नित शंकर कौ,
सब कालन कौ यह काल कहावै।
