कविता
कविता
रास्ते
बदल गए
मर्ज़ी यह उनकी
हमने उनको छोड़ा नहीं
साथ साथ चले थे हम
जुदा जुदा हो गए एक दिन
कसूर नहीं ये उनका और ना हमारा
दुश्मन बन गया ये कम्बख्त ज़माना और किस्मत
अब दिल ये कहता है दर्द अपनों से मिले
रास्ते
बदल गए
मर्ज़ी यह उनकी
हमने उनको छोड़ा नहीं
साथ साथ चले थे हम
जुदा जुदा हो गए एक दिन
कसूर नहीं ये उनका और ना हमारा
दुश्मन बन गया ये कम्बख्त ज़माना और किस्मत
अब दिल ये कहता है दर्द अपनों से मिले