नारी
नारी
हर जगह गंदगी है, हर क्षेत्र में,
जाँच लीजिएगा ! बात सही है।
फिर भी नारी उठी है, उभरी है,
टिकी है और चमकी भी है. . तारा बनकर !
वो गंदगी में पलकर भी निखर उठी है. .
हर क्षेत्र में आगे बढ़ने की धुन जो सवार है !
ये " ब" महत्वपूर्ण है, हर 'बाला' के लिए
क्योंकि वह थी बेड़ियों में बंद, युगों तक !
पहले दो उपाय थे गंदगी से लड़ने के,
बली चढ़ो या बचके चलो गंदगी से !
अब कई उपाय हैं- गंदगी से लड़ने के,
बताओ, बोलो, बंद करो या ब्लॉक करो !
बर्बाद कर दो अपनी क्रोधाग्नि से,
पर नारी, तुम जियो अपनी ज़िंदगी !
दुनिया में गंदगी है तो, सोचो
उतने महान लोग भी है- हे नारी !
जिन्होंने तुम्हारा सम्मान किया है
बेड़ियाँ तोड़ी हैं
और तुम्हारी गरिमा को बनाये रखा है !