सुविचार
सुविचार
आँखें न आँसुओं का समंदर हो ,
ना ही अंगारों का घर हो।
हो तो बस ,
हसीन यादों का दर्पण हो।
हाथ उठे तो सिर्फ़ देने के लिए,
सिर झुके तो सिर्फ़ आशीष लेने के लिए।
आँखें न आँसुओं का समंदर हो ,
ना ही अंगारों का घर हो।
हो तो बस ,
हसीन यादों का दर्पण हो।
हाथ उठे तो सिर्फ़ देने के लिए,
सिर झुके तो सिर्फ़ आशीष लेने के लिए।