कमल तेरी फिज़ूल कलम से...। कमल तेरी फिज़ूल कलम से...।
हाथ उठे तो सिर्फ़ देने के लिए, सिर झुके तो सिर्फ़ आशीष लेने के लिए। हाथ उठे तो सिर्फ़ देने के लिए, सिर झुके तो सिर्फ़ आशीष लेने के लिए।
हे प्रभु! मुझ पापी का ना बहिष्कार कर, पिता है तू तो बस, मेरे जीवन का परिष्कार कर। हे प्रभु! मुझ पापी का ना बहिष्कार कर, पिता है तू तो बस, मेरे जीवन का परिष्कार...
हक अदा कर सकूँ, इतनी रहमत अदा करना ! सदा रह सकूँ उसके दिल में, इतनी रहमत अदा करना ! हक अदा कर सकूँ, इतनी रहमत अदा करना ! सदा रह सकूँ उसके दिल में, इतनी रहमत अदा करन...