ह्रदय की पुकार
ह्रदय की पुकार
हे ईश्वर! स्वचरणों में मेरा नमन स्वीकार कर,
ह्रदय से मेरे धूमिल अहंकार कर।
हे प्रभु! मुझ पापी का ना बहिष्कार कर,
पिता है तू तो बस, मेरे जीवन का परिष्कार कर।
कर सकूं मैं तेरी अर्चना, न लगा रोक इस अधिकार पर,
कर सकूं इससे भी किंचित ज्यादा, मन में यह सद्विचार भर।
देख ज़रा कभी हमको भी, सप्रेम निहार कर,
और कर दे तृप्त हमें, ज्ञान दृष्टि की फुहार कर।
न करना अट्टहास मेरे इस उद्गार पर,
कि मैं चाहती हूं बस तेरी कृपा का विस्तार भर।
ध्यान देना होगा तुझे, मेरी इस पुकार पर,
कि विजय दिलानी होगी, मुझे जीवन की हर हार पर,
or: rgb(0, 0, 0);">ह्रदय की कालिमा में किंचित तो, रोशनी इस प्रकार कर,
कि उजालों के लग जाए वहां अंबार भर।
हे ईश! मेरी हर अक्षम्य त्रुटि को बिसार कर,
मेरी हर सोच में पूर्णतः निखार कर।
मेरे जीवन में गए हैं, कुछ विकार भर,
मिटा दे उन्हें बस, यही विनय स्वीकार कर।
हे भगवान! तेरे इन बच्चों पर, करुणामय उपकार कर,
अगर नहीं हैं हम इसके काबिल, तो दे दे बस उधार भर।
हे नाथ! कर कुछ ऐसी महर, तेरे इस भ्रमित संसार पर,
कि चकित हो जाए, हम भी तेरे चमत्कार पर।
बस इतना ही जानती हूं, अतः इतना ही अंगिकार कर,
कर चाहे जो बस, हम सबका उद्धार कर...!!!