हमारी इज़्ज़त
हमारी इज़्ज़त
हमारी इज़्ज़त हमारे कपड़ों से नहीं,
हमारे काम से है।
हमारी आवाज़ से है,
हमारे नाम से है।
सूरज के ढलने पर,
हमारा घर आना ज़रूरी नहीं।
अपमान का वह घूँट,
अब पीना भी ज़रूरी नहीं।
निर्भर हैं हम,
सिर्फ अपने ख्यालों पे।
अब जवाब है हमारे पास,
अपने सम्मान के सवालों के।
क्योंकि हमारी इज़्ज़त
हमारे कपड़ों से नहीं,
हमारे काम से है।
हमारी आवाज़ से है,
हमारे नाम से है।।