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Arshneet Kaur

Inspirational Thriller

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Arshneet Kaur

Inspirational Thriller

महामारी

महामारी

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पूरा जहाँं बिखर रहा है,

महामारी से तड़प रहा है।

सड़कें, दुकान, सब खाली हैं,

रातें और भी काली हैं।


आतंक है मौत का डर है,

कौन बीमार, सब बेखबर है,

घर की दीवार अब ज्यादा सुनने लगी है,

पूरे परिवार की आवाज़ जो साथ में गूंजने लगी है।


अजीब है ! लोग साफ रह रहे हैं,

एक दूसरे से, नहाने, हाथ धोने की बात कह रहे हैं!

कुछ तो अच्छा इस महामारी ने कर दिया है,

पूरे देश को साक्षरता से भर दिया है।


पर लाशें, जो गलियों से उठ रही हैं,

किसी की जिंदगी से, परिवार लूट रही है।

हर जगह मातम सा छाया हुआ है,

सबके दिल में डर सा छाया हुआ है।


किसी का पैसा, न पावर, उनको बचा सके,

घमंड जो टूटा है उनका, शब्दों में ना हम बता सके।

अब हमें क्या पता! हम तो दुनिया से ठहरे अंजान,

तेजी से फैल रहे इस महामारी का, क्या होगा अंजाम।


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