शहीदों को सलाम
शहीदों को सलाम
एक एक करके तिरंगे में लिपटे,
ताबूत आते चले गये।
कुछ टुकड़ों में, कुछ फिर भी,
साबुत आते चले गये।।
घर से बाहर सरहद पर जब,
तैनात यह सैनिक होते हैं।
तभी हम सब तान के चद्दर,
घर में सुरक्षित सोते हैं।।
हमारे वीर सपूतों पर जिसने,
हमला किए थे आत्मघाती।
कहाँ हिम्मत थी उनमें इतनी,
सामने इनके जो टिक पाती।।
वीर जवानों की शहादत,
व्यर्थ न हम जाने देंगें।
दुश्मन को नेस्तनाबूत करके,
धूल उन्हें चटवाऐंगें।।