कब्रिस्तान बना
कब्रिस्तान बना
कब्रों से जो कब्रिस्तान बना
इंसान से जो शैतान बना,
उनमे रूहें नहीं हुआ करती,
जो प्यार में जलकर शमशान बना।
ना दिल में कोई बात होती है
ना मुस्कुरहट ही साथ होती है
उनके जस्बात भी खो जाते है,
जो प्यार में जलकर राख हो जाते है।
नस नस में वीरानी बहती है
ज़ुबा कल में कहानी कहती है,
इनको अलग ही श्राप मिलता है
ये प्यार के दर्द का अभीश्राप होते है।