खाली हाथ
खाली हाथ
देखो उन हाथों में
अब क्या मिलेगा
हो चुका निश्चल शरीर
लहू हर तरफ फैला मिलेगा।
कोई करेगा भाषणबाजी
कोई नफरत फैलायेगा
जो मर गया है भाई मेरे
क्या वो अब लौट आयेगा।
टुकड़ों मे बिखरा शरीर
कौन किस का अंग पहचानेगा
इकठ्ठा कर लो जो मिला
रक्षा बनकर ही बह जायेगा।
उनके घर में क्या अब
कोई त्योहार हो पायेगा
खाली हाथ टटोलते हुए
आसुओं में सब बह जायेगा।