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Dharitri Mallick

Tragedy

5.0  

Dharitri Mallick

Tragedy

समय ने मांगा जो मेरा बलिदान

समय ने मांगा जो मेरा बलिदान

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जिंदगी खत्म हो रही मेरी

सांसें छूट रही मेरी

जीवन ये कैसी हो गई तुम ???

रंग रूप किसने बदली ज़िंदगी मेरी ??


किस्मत को कैसे मैं दोष दूँ ?

किस्मत ने तो दिए बहुत से मौके

पर मैं न दे पायी किस्मत का साथ !


हालात ने मुझे न दिया संभलने !!

खुद को सम्भालूँ या हालात को !!

इसी कशमकश में निकल गई

आधी से अधिक ज़िंदगी मेरी


जीवन में बहार कब आई ?

और कब चली गयी ?

कुछ सोच न समझ रही !!

समय ने न दिया साथ मेरा !!

समय के भँवर में

कितने साल निकल गए

कुछ न बचा हाथ में मेरे


अब दुनिया से दूर खड़ी !!

जब देखूं खुद को !!

तो पाया खुद को अकेली !!

सफेद हो गए बाल मेरे !!

तबियत भी बिगड़ चुकी मेरी !!

अपनों ने साथ छोड़ा !!!

हालात के मारे सब यहाँ


जो एक दो इंसान बचे थे

उन्हें भी भगवान लेने की तैयारी में है

क्या हासिल किया ज़िंदगी से मैंने ???

सब कुछ खो दिया लगता है जैसे

समय ने माँगा जो बलिदान मेरा

तो क्या ख़ुशी क्या मंज़िल है मेरी ???


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