कल का सूरज
कल का सूरज
शान्त नदी,
घनघोर अँधेरा,
एक पतवार और खामोशी
यात्रा बड़ी लम्बी थी !
ईश्वर की करुणा
एक-एक करके
पतवारों की संख्या बढ़ी,
कल-कल का स्वर गूंजा
खामोशी टूटी
अँधेरा छंटने लगा
यात्रा रोचक बनी,
प्यार की ताकत ने
किनारा दिखाया
उगते सूर्य को अर्घ्य चढ़ाया।