नारी
नारी


ईश्वर ने नारी को बनाया है कुछ अलग ही मिट्टी से
जैसा मिलता परिवेश उसको उसी में ढल जाती है
पर कमजोर ना समझना शक्ति का भंडार है नारी
जीवनदायिनी कहलाती सृष्टि का आधार है नारी
हर रिश्ते की ताकत नारी इस जग की पहचान है
मां बहन पत्नी बेटी रूप में वो हर घर की शान है
कैसी भी हो परिस्थिति कभी नहीं डिगती है नारी
हर मुश्किलों से जीतने का हौसला रखती है नारी
जीवन की हर चुनौती से खुद निपटना जानती है
फिर भी रीति-रिवाजों से जीवन भर वो लड़ती है
हर रूप में अपना किरदार पूरे मन से निभाती है
अपने ग़म और दर्द को नारी सीने में छुपा लेती है
दया प्यार करुणा और त्याग की मूरत कहलाती है
अपनी भावनाओं को छोड़ अपनों के लिए जीती है
तवे पे रोटी के समान नारी हर रोज सेकी जाती है
शब्दों के खंजर से रोज़ कितनी बार भेदी जाती है
घर से लेकर दफ्तर तक सब कुछ संभाल लेती है
फिर भी कुछ ना करने का ताना हर दम सुनती है
घर में रहकर वो अपने घर को सजाती संवारती है
हिम्मत की मिसाल नारी आसमान छूना जानती है
अपने बच्चों के साथ सदा दोस्त बनकर खेलती है
सबके पसंद का स्वादिष्ट खाना भी रोज़ बनाती है
पढ़ाती है अपने बच्चों को सही मार्ग दिखलाती है
फिर भी ना जाने क्यों नारी नासमझ कहलाती है
लक्ष्मी कहलाती घर की देवी रुप में पूजी जाती है
फिर क्यों दहेज के लिए नारी बलि चढ़ाई जाती है
गलत ना होने पर भी सदा गलत ठहराई जाती है
यही है नारी जो अपनों के लिए सब सह जाती है
अपने परिवार को एक डोर में बांधे रखती है नारी
दुनिया के हर जुल्म को हँसकर सह जाती है नारी
प्यार और संस्कारों से घर को स्वर्ग बनाती है नारी
पूरा जीवन रिश्तों के लिए क़ुर्बान कर देती है नारी
नारी शक्ति है नारी से ही उत्पत्ति है और है निर्माण
नारी से ही ये जगत है और है इस जग की पहचान