तुमने जगाया था क्यों
तुमने जगाया था क्यों
ख्वाब गहरी थी,
तुमने जगाया था क्यों,
राज़ दिल अपनी,
तुमने बताया था क्यों।
ख्वाब में थी परी,
मैं भी शहज़ादा था,
ऐसी हालत थी,
तुमने उठाया था क्यों।
मौत का सामना,
ज़िंदगी साथ था,
फिर कसम जीना,
तुमने बताया था क्यों।
हाल दिल का मेरा,
पर सुकुन जब हुआ,
फिर ज़माने की,
बातें सुनाया था क्यों।
रात थी चाँदनी,
हमसफर ख्वाब में,
फिर मुझे ग़म,
जुदाई बताया था क्यों।
क्यों किया ज़ुल्म,
तुमने मेरे ख्वाब पर,
मुझको अपना दीवाना,
बनाया था क्यों।
दिल मेरा मोम था,
वो पिघलता गया,
फिर सितम तुमने,
दिलपर बढ़ाया था क्यों।
जानते हो मुझे,
कितना तुम बोल दो,
अपना कहकर मुझे,
फिर बुलाया था क्यों।
क्या ग़ज़ब ख्वाब था,
और मंज़र हसीन,
लम्हे चाहत को,
तुमने भुलाया था क्यों।