जो बीत गया सो बात गई।
जो बीत गया सो बात गई।
क्या यह बात दोनों पक्षों ने ही कही?
मुश्किल हो जाता है सब कुछ भूलना एक पक्ष के लिए तो,
जो पक्ष भूल जाता है, और कहता है जो बीत गया सो बात गई।
याद रखना परमात्मा एक ना एक दिन उसी बात को जरूर याद करवाता है।
ना रात जाए ना बात जाए।
सदैव शुभ कर्म करें और अच्छे फल पाए।
ऐसे कर्म करें कि जीवन में जो भी बात याद आए।
वह मन और तन दोनों को खुशी से सराबोर कर जाए।
ना दुखाना कभी दूसरे का मन,।
जो प्राप्त है वह पर्याप्त है के अनुसार रखना अपना जीवन।
तो हर दिन नया होगा, परमात्मा का हर पल के लिए धन्यवाद करना होगा।
फिर जो बीत गया सो बात गई शायद तुम्हें जीवन में
कभी भी ना तो सोचना और ना ही कहना होगा।
