इंसाफ की पुकार
इंसाफ की पुकार
प्रियंका बहिन को इंसाफ दिलाना है
हैवानों को सरेआम सूली लटकाना है
मौत देनी इन दरिंदो को इस कदर
रूह भी कांपने लगे उनकी थर थर
उनके जिस्म को जीते जी ही जलाना है
जिस सीने से कभी उन्होंने दूध पिया था
उसी सीने को आज छलनी छलनी किया है
उन कुपूतो का आज नामो निशां ही मिटाना है
प्रियंका बहिन को इंसाफ दिलाना है
जिस्म के साथ रूह भी जलाई कमीनों ने
इस दुष्कृत्य के लिये
उन दरिंदो को गरम सरिया पर सुलाना है
पराली जलाने पर बहुत हंगामा करते हो
अपनी बहिन के लिये कुछ नही करते हो
दो आंसू नही
दीदी के लिये मोमबत्ती नहीं
उन हैवानों के जिस्म को जलाना है
प्रियंका बहिन को इंसाफ दिलाना है
जिस देश में पहले कभी नारी की पूजा होती थी
आज वहीं उसके साथ दुष्कर्म की पुनरावृत्ति होती है
समाज में फैली घटिया मानसिकता को,
लोगो के दिल से मिटाना है
अपनी बहिन, बेटी की आबरू बचाने के लिये
एक नारी के सम्मान के लिये
उन कातिलों को
सूली पर चढ़ाने का फरमान लाना है
प्रियंका बहिन को इंसाफ दिलाना है
भविष्य में ये गलती फ़िर कभी न हो
ऐसा कानून हमें लाना है
एक छोटी से छेड़छाड़ की सज़ा के लिये
भरे बाज़ार में जूते लगाना है
वो खुदा भी रोया बहुत होगा
लड़की को बनाकर वो भी सोया न होगा
हमे आज लड़कियों को इंसाफ दिलाना है
हर लड़की को अपनी मां, बहिन समझकर
उन मां के गद्दारों को
मिसाइल से
टुकड़े टुकड़े कर
चील-कौओं को खिलाना
प्रियंका बहिन को इंसाफ दिलाना है
फ़ेसबुक, व्हाट्सप, शब्दों से
नहीं देनी है मुझे श्रद्धांजलि
मुझे तो तुझे जलाने वालो को
तेरे साथ दुष्कर्म करनेवालो को
आज इसी क्षण उन्हें
सरेआम फांसी पर लटकाना है
प्रियंका बहिन को इंसाफ दिलाना है