कितनी सीताएं
कितनी सीताएं
अपनों की उपेक्षा सहती
चुप्पी से बहुत कुछ कहती
अंधियारे के आंगन में
धूप की चाहत मन में
सार्थक जीवन की कशमकश
अग्निपरीक्षा को विवश
न जाने कितनी पतिव्रताएं
न जाने कितनी सीताएं।
अपनों की उपेक्षा सहती
चुप्पी से बहुत कुछ कहती
अंधियारे के आंगन में
धूप की चाहत मन में
सार्थक जीवन की कशमकश
अग्निपरीक्षा को विवश
न जाने कितनी पतिव्रताएं
न जाने कितनी सीताएं।