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Renu Sahu

Drama Classics Inspirational

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Renu Sahu

Drama Classics Inspirational

नवरात्री डायरी……. सप्तमी (ग्रे)

नवरात्री डायरी……. सप्तमी (ग्रे)

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काले वर्ण की काल समय को,

रात्रि अर्थे गहन चिंतन को।

रक्तबीज की तुम संहारक,

गर्दभ वाहन, तमोगुण नाशक॥


भय रूपी, तुम शुभ फलदायी,

भूत भगाए माँ शुभकारी।

गतिशील बनाती, मात पुनिता,

जय कालरात्रि, सप्तम नवदुर्गा॥


कुबुद्धि, तम, जब-जब है आया,

माँ के द्वारे शीश नवाया।

माँ ने हिय से जब भी लगाया,

मंगल मंगल सब हो आया॥


काल भी डरता माँ के कहर से,

मृत्यु काँपे जिसकी प्रभा से।

भक्तो का भय दूर है करती,

अकाल मृत्यु से रक्षा करती॥


रूप विनाशक माँ दुर्गा का,

नाम रौद्री और ध्रूमवर्ना सा।

करे पलायन प्रेत आत्मा,

नकारात्मक ऊर्जा का होता खात्मा॥


श्याम रंग माता की काया,

सर के बाल बिखरे विकराला।

गले चमकती माला विद्युत्,

छवि भयानक अद्वितीय अद्भुत॥


तीन नेत्र ब्रम्हांड के गोले,

निःस्तृत होती चमकीली किरणे।

श्वास अग्नि की भयंकर ज्वाला,

हाथ खड्ग और रक्त की हाला॥


जल, जंतु, निशा, शत्रु, अग्नि,

भय ना किसी का होने देती।

यम-संयम का करे जो पालन,

माँ के प्रिय बनते वो साधक॥


नाश बुराई ग्रे रंग करता,

शांति देता, सुरुचि भरता।

कर आनंदित मन हर्षाए,

भूले डर, सब खुश हो जाए॥


प्रेम भाव से जो कोई पूजे,

माँ की कृपा उसी पे बरसे।

सत से जुड़ माँ सच बतलाती,

साची लगन है माँ सिखलाती॥


सुंदरता नहीं बस माँ, गोरा रंग गोरा स्वरुप।

साहस, शौर्य, आत्मरक्षा, सच्ची सुंदरता के रूप॥


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