शायरी
शायरी
पाने में तुझको सनम बे सबब खोना पड़ा है
मुस्कुराने के लिए दिल खोलकर रोना पड़ा है
पैर में जो चुभ गए वो काँच के टुकड़े नहीं
दिल बड़ा नाजुक था
इसको उम्र भर ढोना पड़ा है !
वही सनम था बस यही सितम था
किरदार भी वो थे !
कल गैरों के साथ आप भी तो थे !
कांटा चुभा था दर्द हुआ था
फिर बिखरे जज्बात भी तो थे !
माफ करिएगा
कल मैकदे में आप भी तो थे !
रफ्तार तेज थी
नाव बहती रही मगर !
वो कुछ ना बोली
हालांकि सहती रही मगर !
घर बार छोड़ आए
तब भी दुआओं से नवाजा
माँ तो माँ थी
वो हँसती रही मगर !