सच्चे जज्बे
सच्चे जज्बे
आज नहीं तो कल आएगा
दौर लौट के फिर आएगा !
सच्चे जज्बे मर नहीं सकते
तुझे बचाने रब आएगा !
झूठे वादे कसमे खाकर
रिश्ता कैसे टिक पाएगा !
पूरी शिद्दत से चाह लिया गर
दुश्मन भी तेरे घर आएगा।
मा की आंखें नम करके लौटा
बेटा कैसे सो पाएगा !
नफरत भर गई आंखों में है
चश्मा क्या अब कर पाएगा !
मुझसे मेरी वफ़ा न पूछो
राज तुम्हारा खुल जायेगा
मैयत में मत जाना उसके
तेरा कातिल मिल जाएगा !
सूरज चंदा तारे चुप हैं
जुगनू क्या फिर समझाएगा
जेहनों में ये लपटें कैसी
ऐसे तो मजहब जल जाएगा