ग़ज़ल - फ़िल्म ऐसी इक बनाना चाहता हूँ
ग़ज़ल - फ़िल्म ऐसी इक बनाना चाहता हूँ
फ़िल्म ऐसी इक बनाना चाहता हूँ।
कुछ हँसाना कुछ रुलाना चाहता हूँ।
ताल सुर संगीत की महफ़िल सजा कर,
गीत ग़ज़लें गुनगुनाना चाहता हूँ।
दूसरों की गलतियाँ सब जानते हैं,
आईना सबको दिखाना चाहता हूँ।
झूठ का ही बोलबाला दिख रहा है,
बात सच्ची मैं बताना चाहता हूँ।
प्यार से बढ़ कर जहाँ में कुछ नहीं है,
इश्क़ हर दिल में सजाना चाहता हूँ।
कुछ सबक़ बेहद ज़रूरी ज़िन्दगी में,
पाठ ऐसे कुछ पढ़ाना चाहता हूँ।
मिट गए अपने वतन के नाम पर जो,
याद उनकी मैं दिलाना चाहता हूँ।
