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Preeti Gg

Drama

3  

Preeti Gg

Drama

आनदेखा सच

आनदेखा सच

3 mins
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कॉलेज वो सफर है जो सपनों को पूरा करने में साथ निभाता है

और आने वाले वक्त की राह दिखा जाता है |

पर इस सफर की हर किसी की राह एक नही होती

सपने कुछ होते हैं पर हकीकत सदा सुंदर व सही नही होती

जो वास्तव मे मैने देखा वो मै बतलाती हुँ

माँ बाप का सपना व बच्चे की हकीकत मैं दिखलाती हूँ


एक परिवार में खुशियाँ थी आई

लड़का हुआ है बधाई होे बधाई, पर

हर कोई क़िस्मत ऊपर से लिख़वाता है

कौन भला, कौैन बूरा ये वक्त बताता है |


बच्चा बड़ा होने लगा

माँ बाप की ऊँगली थामे चलने लगा|

माँ की आँखोे का तारा है

बाप के लिए सबसे प्यारा है


दादा के बुढा़पे का सहारा है

हाथ थामे उनका स्कूल था ज़ाने लगा

दादी की आँखोे में दीये की तरह था चमकने लगा |

ऐसे ही समय का पहिया घूमता गया और

परिवार की आशाओं का स्वतंत्र पंछी गगन चूमता गया |


आने वाले समय से हर कोई अनजान था

अपने बच्चे पर बडा़ अभिमान था

नया दौर नया सफर शुरू होने लगा

संगती ने बिगाड़ा तो बिगड़ने लगा


आधुनिकता चलन के आगे परिवार लाचार था

बच्चे के हाथ फोन जैसा हथियार देने हर शख्स़ तैयार था

धीरे धीरे बुरी आदतों के ज़ाल मे उलज़ता गया

माँ बाप का सपना भी वास्तविकता की आग मे सुलगता गया


अब हर कुछ बर्बाद होता नजर आ रहा था

माँ बाप के सपनो पर अँधेरा छा रहा था

अब माँ ने भी बच्चे को सुधारने की ठान ली

बेटा अब तू बड़ा होे जा वक्त आ गया है कि


अपने पैरों पर खड़ा हो जा

बेटा भी जिमेदार बनने को मज़बुर था

अब उसका घमंड भी टूटा बूरे दोस्तों का भी साथ छूटा

जिन पर उसको बड़ा गरूर था

पर अब भी वह बूरी आदतों की मिट्टी मे सना रहा

अपने आने वाले कल और आज की हक़ीकत से अनज़ान बना रहा


उसने बूरे वक्त को अपने हाथों न्योता दिया

पहले पूरे परिवार कोे खोया पर

जो माँ उसके साथ खड़ी थी उनको भी वह पल पल खोता गया

पर जब उसने होश संभाला अपने आप को ऐसे मोड़ प पाया

जहाँ उसके मन मे एक सवाल आया

जब उसने अपने बच्चे को सामने खड़ा पाया


क्या मेरी गलती की सज़ा मेरे परिवार को मिलेगी

और सब कुछ बर्बाद होे जाएगा

या मेरा बेटा भी मेरी तरह बन कर पूरे परिवार को रुलाएगा

अब उसके सामने खड़ा यही सच और यही हक़ीकत थी

हर किसी को अब उसकी यही नसीहत थी


" जिंदगी एक बार ही तो मिलती है जो माँ बाप के सहारे ही चलती है

पर एक गलत कदम सब कुछ मिटा देता है

सपने और हक़ीकत मे फांसला और बड़ा देता है "


काॅलेज मे हमारे आगे दो रास्ते खड़े हैं

ये हमें तय करना है की हम किस और बड़े हैं

कहने को काॅलेज जिंदगी का एक वो हिस्सा है

जो जल्द ही साथ छोड़ जाता है पर


हकीकत यह की वही आगे के सफर की मंजिल तय कर जाता है

इसलिए अंत मे मै यही कहती हूँ कि

अपने अंदर झाँक कर चलो

और माँ बाप के सपने भी साथ लेकर चलो


क्या पता खुदा हमे किस मोड़ पर खड़ा कर जाए

जहाँ ना कोई दोस्त खड़ा मिले बस केवल मिले तो वो

माँ बाप का साथ ही नज़र आए !


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