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Preeti Gg

Others

5.0  

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मैं और मेरी शैतानियाँ

मैं और मेरी शैतानियाँ

2 mins
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आज बादल की गरज और बारिश की हल्की

सी बौछार है,

फिर क्या आज मेरी कुछ मीठी कुछ

खट्टी यादों का खुला संसार है।

हर रात सोचती हूँ कि कुछ लिख डालूं

पर कलम लिखते लिखते ठहर जाती है,

जब भी मेरी आँखें आसमान की ओर होती है

तभी बिजली मुझ पर कहर ढाती है।


पर कुछ ख़ास यादें है जो थोड़ी पुरानी है,

आज मन है ,बैठ के बादल की छाया तले

बस उन्हीं यादों की कहानी सुनानी है।

जब सबसे छोटी थी तब थोड़ी नटखट, थोड़ी

चंचल थी

मैं शैतान और हर कोई मुझसे हैरान

बस घर पर मेरी नादानियाँ और मेरी नौटंकी से 

हर वक़्त हलचल थी।


जब भी सावन आता और बारिश की बौछार आती,

मेरा मन मुझसे दूर और मैं मन की मानकर बाहर

भाग जाती।

बारिश ही वजह होती की हम सब दोस्त इकट्ठा होते,

वो भी मान जाते जो हमसे रूठे होते।

फिर क्या निकलती गली से एक शरारती फ़ौज,

करने खूब मस्ती और मौज़ ।


पहले पन्नों की नाव से खेलते, फिर खेलते

पेड़ों के पत्तों से 

बादल की छाया के नीचे नहर में छलांग होती

सबकी और बिजली की कड़कड़ाहट के डर से

गुजरते सब खेतों से।

घर लौटने से पहले हर ताई के हाथ के पकौड़े

चख आते,

करते कुछ काम नहीं बस ताई के घर की चौखट

पर मिट्टी से जूतों के निशान रख आते।

ताई गुस्से से डंडा लिए हमारे पीछे भाग जाती,

पर हम दौड़ने में तेज़ तो ताई थक हार वहीं

बैठ जाती।

हम शैतान तो हमारी शरारत थोड़ी ख़तम होती,

दूर से देख सफेद कपड़ों में ताऊ, हम मिट्टी से

सन्न दे उनकी धोती ।


फिर क्या ताऊ की अकड़ और मूछों में ताव,

चहरा लाल पीला होता,

दौड़ने की कोशिश होती उनकी पर हड्डी टूटने

का डर क्योंकि रास्ता पूरा गीला होता।

अब घर का सामने रास्ता होता,

एक दूसरे से फिर इस बारिश में मिलने का

वास्ता होता।

जैसे ही मेरा घर के अंदर पाँव होता,

सब के माथे पर गुस्से कि लकीर का खिंचाव होता।


माना मैं खोटी थी पर ये भी तो है कि सबसे छोटी थी,

मामा की मैं लाडली तो मामा ही मुझे बचाते,

वो ही मेरी तरफ से सबकी डांट खाते।

बस ऐसे ही मेरी शैतानी चलती चली जाती,

जब भी बारिश होती है बस मेरी यादें उसी राह उसी

गली जाती।

अब बारिश की बूंदों और बादल की गड़गड़ाहट में

याद आती ये यादें हैं,

अब वक़्त नहीं उन पलों को जीने का क्योंकि करने

जिंदगी में पूरे बहुत ख़्वाब और वादे हैं ।

अब जब भी बारिश की बूंदों को गिरते देखती हूँ,

बस पुरानी यादों पुराने किस्सों को ही सोचती हूँ ।।



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