ख्वाहिश
ख्वाहिश


हम नए सफर पर निकले है
जहां नई नई बहार नए नए फूल खिले है
दिल में कुछ नई कुछ पुरानी
ख्वाहिश ले आगे बढ़ी हूँ
बस उसी का हाथ है जो मेरे साथ है
जिसे पकड़ एक नई सीढ़ी पर खड़ी हूँ
रात भी चमकीली और चांदनी है
चाहत इतनी है उससे
जैसे कोई मीठी चाशनी है
अब सूरज की तपती धूप,
वो गर्मी भी अच्छी लगती है
जब भी उसके ख्याल
मेरे मन में होते है और
मेरी ख्वाहिश भी उसके साथ चलती है
सूरज की किरणों से मेरा
चेहरा भी खिला खिला है
जब से मेरी जिंदगी में
उसकी मौजूदगी का साथ मिला है
रात अंधेरी होती रहती है और
उससे चाहत, उससे प्यार और गहरा
जब भी चांद की चांदनी में
वो मुझे और मैं देखती हूँ उसका चेहरा
ख्वाहिश एक ही है चांद की
चांदनी भी उसके नाम हो
डूबते सूरज की लाली भी
उसके साथ देखूं
जब भी उसके साथ मेरी शाम हो
प्यार बहुत है उससे जिसे
शब्दों में बतलाई नहीं जा सकती
जैसे सूरज की किरणों और
चांद की चांदनी छुपाई नहीं जा सकती
ख्वाहिश है मैं जाऊं जहां
मिलो तुम ही वहां
इस दिन की हरी वादियों में
किस्सा अपना हो
तेरे संग जीने का एक छोटा सा सपना हो
ख्वाब है कि इन चांदनी रातों में
जियूँ तेरे संग
तेरे नाम की जिंदगी हो
तेरे नाम की हर रात हर दिन
बस वजह तू ही हो मेरी खुशियों की
वजह मैं भी रहूं तेरी खुशियों की
मेरी जिंदगी का ताला भी तुम हो
चाभी भी तुम हो
इन महकती वादियों में
चमकती रातों में एक दूसरे में
खोए हम ही हम हो
वहां ले चल तू मुझे
जहां कोई और ना हो
तेरे साथ रहूं तेरे पास रहूं
जहां हम ही हम हो और कोई शोर ना हो
सूरज की धूप से तपती रेत में भी
तेरे साथ चल पडूं कोई फिक्र नहीं
मेरे ख्यालों की दुनिया में बस
तू बसता है और किसी का जिक्र नहीं
बस ऐसे ही ये लम्हे तेरे साथ गुजर जाए
बस ये रातें ये तेरी बातें
कभी मुझसे यूँ ही ना मुकर जाए
मैं तो बहुत करती हूँ तुझसे प्यार
बस राह देख रही हूँ कब तू करेगा इजहार
मैं बस करती रहती हूँ मेरे ख्यालों में तुझसे बातें
चाहे ढलती शाम हो या चांदनी रातें
बस अब तेरे साथ जीने मरने की ख्वाहिश है
ये चांदनी रात मुझसे कभी ना रूठे
जो तेरे साथ बिताई है
अब रब से यही गुजारिश है।