कल फिर नया उजाला होगा
कल फिर नया उजाला होगा
आज कितना भी अँधेरा हो,
कल फिर नया उजाला होगा।
मोती की सुंदरता को देखा सबने,
पर बंद सीप में संघर्ष देखा किसने,
कौन जाने कितने वर्ष लगे होंगे,
तब जाकर रूप उसका निखारा होगा।
इस पानी में भी ताकत है ऐसी,
कि पत्थर को भी घिसते जाए।
समय की भी पकड़ है कुछ ऐसी,
आगे जोर किसी का चल ना पाए।
वक्त के साथ तुम भी चलना सिखों,
फिर देखना क्या नजारा होगा।
आज कितना भी अँधेरा हो,
कल फिर नया उजाला होगा।
पास तेरे हो समंदर फिर भी,
प्यास को अपने तू जिंदा रखना।
साथ नहीं देगा जब कोई,
तू बिलकुल भी मत चिंता करना।
आज है तू सहारा लोगों का,
कल खुदा ही तेरा सहारा होगा।
आज कितना भी अँधेरा हो,
कल फिर नया उजाला होगा।