चुनाव
चुनाव
सफेदपोश उड़ा रहे,
इक दूजे का मखौल है,
लगता है शहर में,
चुनावी माहौल है !
सियासती इस दौर में,
बहुत कुछ बदलने वाला है,
आज है जो गली का गुंडा,
कल वो वज़ीर बनने वाला है !
पंचवर्षीय ये योजना,
फिर से दोहराई जाएगी
बेचारे कर्मचारियों की,
इलेक्शन ड्यूटी लगाई जाएगी !
ऐसी ड्यूटी से तो हर,
कर्मचारी को मुक्ति चाहिए,
और जनता को तो बस,
भ्रष्टाचारी से मुक्ति चाहिए !
ऐसे में मतदान के रूप में,
उम्मीद की नई किरण नज़र आती है,
मगर नई सरकार बनते ही खुद,
अपने भरण-पोषण में जुट जाती है !
हालांकि इलेक्शन कमीशन लगातार,
अपनी रेप्यूटेशन बनाए हुए है,
मुद्दत से इस महान डेमोक्रेसी का,
डेकोरम मेंटेन किए हुए है !
मगर अफसोस के पॉलिटिक्स को,
कुछ नेताओं ने गंदा किया,
सत्ता को सट्टा समझकर उसे,
अपना पुश्तैनी धंधा बना लिया !
पहले बैलट होता था,
अब ईवीएम का जमाना है
हर पार्टी का मूलमंत्र यही के,
बस पब्लिक को रिझाना है !
अब देखना ये है कि,
जनता किसे चुनती है
शायद जो कामचोर है,
जनता उसे चुनती है !
अपना अच्छा-बुरा जनता को,
खुद समझना चाहिए,
इस बार तो ईवीम पर,
केवल नोटा ही दबना चाहिए !
हो सकता है ये पंचवर्षीय,
फुटबॉल मैच यही खत्म हो जाए,
और शासन चलाने का कोई,
नया फॉर्मूला हाथ लग जाए।