लक्ष्य
लक्ष्य
पहुँचना है मुझे उस अंबर की ऊँचाई तक,
चमकना है मुझे सूर्य की भांति हर दिशा में l
स्थिर रहना है शैल के समान हर परिस्थिति में,
गहराई भरनी है अपने भीतर समुद्र की तरह l
बहुत कठिन है राह इच्छित फल की प्राप्ति की,
वो मुँह चिढ़ा रहीं है राह में खड़ी दुश्वारियाँ मुझे l
पथरीली राहें, लिए खड़ी हैं, दर्द और पीड़ाएँ,
कह रहीं हैं अवरूद्ध कर देंगी मेरे लक्ष्य की राहें l
गिराएँगी मुझे, भटका देंगी मुझे मेरे पथ से,
नहीं पाने देंगी मुझे मेरे सपनों की मंजिल कभी l
किंतु नहीं नहीं होने दूँगा मैं उनको हावी खुद पर,
गिरूँगा-उठूँगा, किन्तु निरंतर करूँगा प्रयत्न l
हारना ही होगा सारे अवरोधों, दर्द औ पीड़ाओं को,
क्योंकि जीतना है मुझे प्राप्त करना है अपने लक्ष्य को l