Anju Singh

Inspirational

3.7  

Anju Singh

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हिंदी को सम्मान दो

हिंदी को सम्मान दो

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कहने को तो एक दिन

लोग जोर-शोर से 

हिंदी दिवस मनाते हैं

पर साल के पूरे दिनों में 

अंग्रेजी को अग्रता दिखातें हैं


आम दिनों में भी देखे तो लोग

हिंदी बोलने में हिचकिचाते हैं

हिंदी का तिरस्कार कर

अंग्रेजी को गले लगाते हैं


जहां भी देखते हैं वहां 

अंग्रेजी का शोर है

इस आधुनिक समाज में

सिर्फ दिखावे का जोर है

अपनी मातृभाषा 

को ही भूल जाते

आज ऐसा दौर है

अपनी मातृभाषा में ही 

नहीं किसी का ठौर है


ऑंख खुलने के बाद 

हिंदी भाषा ही कानों में पड़ती है

यह तो बिल्कुल 

अपनी सी लगती 

जैसे मां की लोरियां 

खुद के कानों में पड़ती है


बचपन में जब हमें

बड़े बूढ़े कहानियां सुनाते हैं

सच मानो वह हमें

अक्सर बेहद भाते हैं


जिस भाषा को सीख कर 

हम छोटे से बड़े हुए

उस अपनी मातृभाषा का

करों तुम‌ सदैव सम्मान

हिंदी के दर्द को समझो

उसे बनाओ अपना स्वाभिमान


सिर्फ मन को समझाने के लिए 

मत हिंदी दिवस मनाओ

उचित सम्मान देकर इसका

हमेशा गौरव मान बढ़ाओ


लोग अपनी प्रतिष्ठा के लिए 

अंग्रेजी को आगे कर देते हैं

शायद हिंदी को मानते पिछली भाषा

उसे पिछड़ा कर देते हैं


क्यों ढोंग करते हो कि 

हम हिंदी बोलने में असमर्थ हैं

लिखो, पढ़ो बोलो और सोचो

हाॅं हिंदी में हम पूर्ण समर्थ हैं


जिसे अपनी भाषा पर गर्व नहीं 

वह क्या करेगा उत्थान

अपनी मातृभाषा को आगे बढ़ाकर 

करो तुम इसका कल्याण


हिंदी है वजूद अपना

इसके लिए हमने ठाना है

लोगों में हिंदी का 

स्वाभिमान जगाकर 

इसे जन-जन तक पहुंचाना है


हिंदी बोलने लिखने में

गौरव करो शर्म नहीं

ये तो अपनी भाषा है

इससे बड़ा कोई धर्म नहीं


देश में जब हर लोग

देंगे हिंदी को उचित सम्मान

उस दिन बन जाएगा

यह घर घर का स्वाभिमान

फिर सही रूप में

देश हिंदी दिवस मनाएगा

तब अपनी यह हिंदी पूर्णरूप से

हिंदुस्तान का गौरव बन जाएगा



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