गुरु को मेरा नमन
गुरु को मेरा नमन


खिलखिलाता बचपन मेरा, खिलखिलाते बच्चे।
स्कूल को जाते हम सब मिलकर, दिन थे कितने अच्छे।।
अठन्नी चवन्नी बहुत थी, तब आते दोने भरके।
इंटरवल में चीजें खाते, लाते घर से सिक्के।।
हिंदी साइंस तो अच्छे लगते ,रहे गणित से बचते।
क्रोध में तो टीचर रहते ,धरते घूसे मुक्के।।
इंटरवल का पीरियड छोटा ,खेले कब हम बच्चे।
पढ़ाई में तो आगे बढ़ गए, रहे खेल में कच्चे।।
स्कूलों में ही मित्र मिल गए, बिन विज्ञापन खर्चे।
पाकर इनको धन्य हो गए, जैसे हीरे पन्ने।।
गुरु ज्ञान से नेक बने हम, कर रहे सेवा हृदय से सच्चे।
इंजीनियर डॉक्टर कुछ वैज्ञानिक बन गए ,इरादे थे जिन जिनके पक्के।।
स्कूल से ही नैतिकता पा गए, हर कृत्य राष्ट्र को समर्पित करते।
एक दिन भारत विकसित होगा, रह जाएंगे सब हक्के बक्के।
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विश्व गुरु बनेगा भारत , होंगे कई चंद्रयान अंबर पे।
अलग ग्रह पर होंगी रस्में, अलग ग्रह पर नाते रिश्ते।।
खिलखिलाता बचपन मेरा, खिलखिलाते बच्चे।
स्कूल को जाते हम सब मिलकर, दिन थे कितने अच्छे।।
पारस बन स्वर्ण रूपी छात्र बनाने वाले हर गुरु को मेरा नमन,
कांच को तराश कर हीरा बनाते हर गुरु को मेरा नमन।
पथभ्रष्ट को सन्मार्ग पर चलाते हर गुरु को मेरा नमन,
आलस्य हटा समय का सम्मान सिखाते हर गुरु को मेरा नमन।
अपनी सृजनात्मकता से नीरस विषय को रोचक बनाते हर गुरु को मेरा नमन,
निंदा द्वेष से दूर प्रेम का पाठ पढ़ाते हर गुरु को मेरा नमन।
असफलता से ना घबराकर निरंतर प्रयास को प्रेरित करने वाले हर गुरु को मेरा नमन।,
अपने कांधे को सीढी बना सफलता का दर्शन कराते हर गुरू को मेरा नमन।