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Dr. Nisha Mathur

Inspirational

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Dr. Nisha Mathur

Inspirational

दिल बंजारा गाये

दिल बंजारा गाये

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दिल बंजारा गाये, सरहद पे, सुन मेरा दिल बंजारा गाये,

सीने में हूक सी उठती जाने, किस घड़ी सांस थम जाये।


पहला प्यार मेरे देश की मिट्टी, जिसका कण-कण प्रियतमा

फुर्सत के लम्हों में दिल रूह से पूछे, तुम कैसी हो मेरी प्रिया

खामोश हवाओं संग लिख लिख भेजे, कैसी प्यार भरी चिट्ठियां

मां के संग बचपन को बांटे, और फिर सरहद की खट्ठी-मिट्ठियां।


बेताब निगाहें पल पल बूढे बाप को ढूंढे, बच्चें सपनों में पलते

जिगर को बांध फिर मोहपाश सिपाही, वतन की राह पे चलते।

फिर भी दिल बंजारा गाये, सरहद पे, मेरा दिल बंजारा गाये,

सीने में एक हूक सी उठती जाने, किस घड़ी सांस थम जाये।


प्रश्नचिन्ह सी क्यूं बनी खड़ी है, देश की सरहद और सीमाएं

सिहांसन ताज

के लिये टूट रही, रोजाना कितनी ही प्रतिमायें।

अटल खड़ा वो देश द्वार के सामने, बैरी चक्रव्यूह सी श्रंखलाऐं

रण का आतप झेल, मस्ती, खेल, हाथ कफन लाखों प्रभंजनायें।


फिर भी दिल बंजारा गाये, सरहद पे, सुन मेरा दिल बंजारा गाये,

सीने में एक हूक सी उठती जाने किस घड़ी ये सांस थम जाये।


क्षमा मांग तोड़े मोह का बंधन, नीड़ का करता तृण तृण समर्पित

भाल पे मलता मां चरणों की धूरी,तन क्या मन तक करता अर्पित।

सिंह सी दहाड़, शंखनाद सी पुकार, धूल धूसरित मिट्टी से सुवासित

मार भेदी को बाहुपाश से फिर,कर हस्ताक्षर, नाम शहीदों मे चर्चित।


फिर भी दिल बंजारा गाये, सरहद पे, सुन मेरा दिल बंजारा गाये,

सीने में एक हूक सी उठती जाने किस घड़ी ये सांस थम जाये।


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